नई दिल्ली. बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले सुरेश कुमार, जो पिछले 10 साल से दिल्ली में नौकरी कर रहे हैं, आजकल एक गंभीर संपत्ति विवाद से जूझ रहे हैं। दिल्ली में स्थायी निवास बना चुके सुरेश के माता-पिता और दादा का निधन हो चुका है, जिससे गांव की संपत्ति पर उनका स्वाभाविक मालिकाना हक है। लेकिन उनके चाचा-ताऊ इस संपत्ति के बंटवारे को लेकर सहमति नहीं दे रहे और पूरी संपत्ति पर अपना दावा ठोक रहे हैं।
संपत्ति विवाद के समाधान के विकल्प
संपत्ति विवादों के विशेषज्ञ प्रदीप मिश्रा बताते हैं कि ऐसे मामलों में सबसे प्रभावी और सुरक्षित तरीका है संपत्ति बंटवारे का मुकदमा दाखिल करना। यह मुकदमा किसी भी संपत्ति के हिस्सेदार द्वारा दाखिल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के लिए आपको न्यूनतम फीस, जो लगभग 500 रुपये है, का भुगतान करना होता है। मुकदमे को दाखिल करने से पहले कुछ जरूरी दस्तावेज़ और कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करना आवश्यक है।
संपत्ति बंटवारे के मुकदमे के लिए आवश्यक दस्तावेज़
मुकदमे की प्रक्रिया को सुचारू रूप से शुरू करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:
- कानूनी वारिस का आईडी प्रूफ
- प्रॉपर्टी के टाइटल डीड्स की सर्टिफाइड कॉपी
- प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी और उसका मूल्यांकन
- कानूनी वारिस का जन्म और निवास प्रमाण पत्र
- मृत मालिक का डेथ सर्टिफिकेट और निवास प्रमाण पत्र
इन दस्तावेजों को तैयार कर, आपको सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकरण कराना होता है।
मुकदमा दाखिल करने की समय सीमा
संपत्ति के बंटवारे का मुकदमा दायर करने के लिए 12 साल की समय सीमा निर्धारित की गई है। यह समय सीमा मृतक मालिक की मृत्यु के बाद से शुरू होती है। यदि आपके चाचा-ताऊ 12 साल तक संपत्ति का उपयोग करते हैं या उस पर कब्जा बनाए रखते हैं, तो आपका कानूनी दावा कमजोर हो सकता है। इसके बाद संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई और जटिल हो सकती है।
पार्टिशन डीड से समाधान
यदि आप मुकदमेबाजी से बचना चाहते हैं, तो पार्टिशन डीड के माध्यम से संपत्ति का बंटवारा एक वैकल्पिक और सरल उपाय हो सकता है। पार्टिशन डीड सह-मालिकों की आपसी सहमति से तैयार की जाती है और इसे स्टांप पेपर पर लिखवाकर सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत कराना होता है। इस डीड में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु शामिल किए जाते हैं:
- विवाद का समाधान और निपटारा
- बंटवारे के बाद हिस्सों का स्पष्ट विवरण
- टाइटल डीड्स का उत्पादन
- सभी परिस्थितियों का उल्लेख
- लागू कानूनों की जानकारी
सुरेश के लिए सही विकल्प
सुरेश के मौजूदा हालात को देखते हुए, उनके पास दो विकल्प हैं। पहला, वे संपत्ति बंटवारे का मुकदमा दाखिल करें और कानूनी प्रक्रिया के जरिए अपना हिस्सा प्राप्त करें। दूसरा, वे चाचा-ताऊ के साथ आपसी सहमति से पार्टिशन डीड तैयार कर संपत्ति का बंटवारा करें। हालांकि, दूसरा विकल्प तभी सफल हो सकता है, जब सभी पक्ष सहमति के लिए तैयार हों।
संपत्ति विवाद से बचने के उपाय
संपत्ति विवाद से बचने के लिए बेहतर है कि समय पर संपत्ति के दस्तावेज़ तैयार करें और उन्हें पंजीकृत कराएं। कानूनी वारिसों को अपने हक की जानकारी होनी चाहिए और संपत्ति विवादों के निपटारे के लिए कानूनी सहायता लेने में देरी नहीं करनी चाहिए।