भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 11 दिसंबर से केंद्रीय बैंक की कमान संभाली है। वे वर्तमान में वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में कार्यरत थे और इस भूमिका में नई आयकर व्यवस्था लागू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। कंप्यूटर साइंस में स्नातक और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री रखने वाले मल्होत्रा का चयन इस समय हुआ है जब भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी वृद्धि और बढ़ती महंगाई की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है।
कंप्यूटर साइंस में स्नातक से RBI गवर्नर तक का सफर
राजस्थान के मूल निवासी संजय मल्होत्रा 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी हैं। प्रतिष्ठित IIT कानपुर से कंप्यूटर साइंस में स्नातक और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से सार्वजनिक नीति में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने वाले मल्होत्रा ने अपने करियर की शुरुआत में राजस्थान में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। उन्होंने खनन, ऊर्जा, वित्त और वाणिज्यिक कर जैसे विभागों में सेवाएं दीं।
केंद्र में उनका आगमन 2000 में हुआ, जब वे केंद्रीय मंत्री के निजी सचिव बने। इसके बाद 2020 में वे विद्युत मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में केंद्र लौटे और REC के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक का पदभार संभाला। 2022 में वे वित्तीय सेवा विभाग के सचिव बने और अपनी सूझबूझ से उन्होंने वित्तीय सुधारों में योगदान दिया।
नई इनकम टैक्स रिजीम के सूत्रधार
संजय मल्होत्रा की प्रमुख उपलब्धियों में नई आयकर व्यवस्था का क्रियान्वयन शामिल है। दिसंबर 2022 में राजस्व सचिव बनने के बाद उन्होंने आयकर अधिनियम को सरल बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए। वेतनभोगी वर्ग को राहत देने वाली नई प्रत्यक्ष कराधान व्यवस्था का श्रेय भी उन्हें जाता है। इसके अलावा, उन्होंने ऑनलाइन गेमिंग पर GST कराधान और कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर हटाने जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों में भी योगदान दिया।
आर्थिक चुनौतियों के बीच नई भूमिका
संजय मल्होत्रा ऐसे समय में RBI की कमान संभाल रहे हैं जब अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। सितंबर तिमाही में GDP वृद्धि दर 5.4% पर पहुंच गई, जो सात तिमाहियों में सबसे कम है। वहीं, अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.21% हो गई, जो पिछले 14 महीनों में सबसे अधिक है।
मल्होत्रा को अब मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों को इस तरह से संतुलित करना होगा कि महंगाई को काबू में रखते हुए आर्थिक वृद्धि को भी प्रोत्साहन मिले। विशेषज्ञ मानते हैं कि उनके पास इस जटिल समय में सरकार और RBI के बीच तालमेल बिठाने की उत्कृष्ट क्षमता है।
वित्त मंत्री के साथ बेहतर तालमेल
माना जाता है कि संजय मल्होत्रा के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अच्छे संबंध हैं। यह उनके कार्यकाल को सुगम बनाने में मदद कर सकता है। वित्त मंत्री ने हाल ही में ब्याज दरों में कटौती की आवश्यकता जताई है, क्योंकि उच्च ब्याज दरें आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर रही हैं। मल्होत्रा का सहयोग केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सकता है।
महंगाई और ब्याज दरों पर नज़र
संजय मल्होत्रा के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को नियंत्रण में रखते हुए आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करना होगा। शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल में ब्याज दर को स्थिर रखा था, लेकिन अब बाजार और सरकार से ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है।
RBI की जिम्मेदारी है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर को 4% के आसपास बनाए रखा जाए। मल्होत्रा को इस जिम्मेदारी के साथ मौद्रिक नीति की दिशा तय करनी होगी।
क्या मल्होत्रा करेंगे नई दिशा तय?
संजय मल्होत्रा को एक टीम-खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है। वे मानते हैं कि महंगाई जैसे मुद्दे केवल RBI के नियंत्रण में नहीं हैं और इसके लिए सरकार के सहयोग की भी आवश्यकता होती है। उनकी यह विचारधारा उनके कार्यकाल को अन्य गवर्नरों से अलग बना सकती है।