परंपरागत खेती से हटकर किसान अब ऐसे विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं जो कम मेहनत और अधिक मुनाफा देने वाले हैं। बागवानी के इस नए रुझान में महोगनी के पेड़ों की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इन पेड़ों की लकड़ी, बीज, पत्तियां और जड़ें काफी महंगी बिकती हैं, जिससे किसान लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं। बाराबंकी जिले के पाराडिपो गांव के किसान महेश प्रसाद वर्मा इस खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
महोगनी, लकड़ी और दवाओं के लिए खास
महोगनी एक ऐसा पेड़ है जिसकी मार्केट में काफी ज्यादा डिमांड है। इसकी लकड़ी का उपयोग जहाज निर्माण, फर्नीचर और प्लाईवुड जैसी चीजों में होता है। इसके अलावा, महोगनी के बीज और पत्तियों से कई प्रकार की औषधियां बनाई जाती हैं। यही कारण है कि यह पेड़ किसानों के लिए मुनाफे का एक बड़ा जरिया बन गया है।
बाराबंकी के किसान महेश प्रसाद वर्मा ने बताया कि पहले वह धान और गेहूं की खेती करते थे। लेकिन एक दिन शिव शक्ति कंपनी के सुझाव पर उन्होंने महोगनी के पेड़ लगाने का फैसला किया। डेढ़ बीघे खेत में उन्होंने लाइन-टू-लाइन 200 पेड़ लगाए, जिनमें से 170 पेड़ अब भी सुरक्षित हैं।
निवेश में कम, मुनाफे में ज्यादा
महोगनी की खेती पर महेश वर्मा ने 20,000 रुपये का शुरुआती निवेश किया। उन्होंने बताया कि एक पौधा 119 रुपये का मिला था। महोगनी का पेड़ 10 से 12 साल में पूरी तरह तैयार हो जाता है और इसकी कीमत प्रति पेड़ 40,000 से 50,000 रुपये तक हो सकती है। इस हिसाब से किसान एक बड़े मुनाफे की उम्मीद कर सकते हैं।
महोगनी की खेती का तरीका
महोगनी की खेती करना बेहद आसान है। इसके लिए नर्सरी से पौधे लाकर 2 फीट गहरे और 2 फीट चौड़े गड्ढे में रोपाई करनी होती है। इस दौरान मिट्टी को बहुत अधिक रेतीली न होने दें। रोपाई के बाद गोबर की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। पौधों की सिंचाई नियमित रूप से करनी पड़ती है, और एक महीने के भीतर इनकी ग्रोथ शुरू हो जाती है।
10 से 12 साल में तैयार होती है फसल
महोगनी के पेड़ को पूरी तरह विकसित होने में 10 से 12 साल का समय लगता है। इस अवधि में पेड़ की देखभाल में बहुत अधिक मेहनत की जरूरत नहीं होती। किसान इस दौरान अन्य फसलों की खेती भी कर सकते हैं। एक बार पेड़ तैयार हो जाने पर इसकी लकड़ी, बीज और अन्य उत्पादों की बिक्री से लाखों का मुनाफा हो सकता है।
मिट्टी और जलवायु की भूमिका
महोगनी की खेती के लिए बहुत अधिक खास जमीन तैयार करने की जरूरत नहीं होती। बस यह ध्यान रखना चाहिए कि मिट्टी बहुत अधिक रेतीली न हो। इस पेड़ के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे बेहतर मानी जाती है। किसान इसके पौधों की ग्रोथ के दौरान जैविक खाद और समय-समय पर सिंचाई करके बेहतरीन परिणाम पा सकते हैं।
किसानों के लिए एक नई उम्मीद
परंपरागत खेती से इतर महोगनी की खेती ने किसानों को एक नया विकल्प दिया है। न केवल इसकी लकड़ी की डिमांड मार्केट में अधिक है, बल्कि इससे जुड़े अन्य उत्पादों की भी काफी अच्छी कीमत मिलती है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि महोगनी की खेती किसानों के लिए मुनाफे की फसल बनकर उभर रही है।