भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सोलर पैनल सब्सिडी को लेकर हाल ही में एक नया विवाद उत्पन्न हुआ है। वाराणसी में 370 उपभोक्ताओं की सोलर पैनल सब्सिडी रोक दी गई है, क्योंकि उन्होंने विदेशी निर्मित (नान-डीसीआर) सोलर पैनल अपने घरों और प्रतिष्ठानों की छतों पर लगाए थे। यूपी नेडा (Uttar Pradesh New and Renewable Energy Development Agency) द्वारा यह कार्रवाई तब की गई, जब सरकारी पोर्टल पर सत्यापन के दौरान गड़बड़ी पकड़ी गई। अब उपभोक्ता परेशान होकर यूपी नेडा के कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, और पोर्टल पर त्रुटियां सुधारने की प्रक्रिया चल रही है।
विदेशी सोलर पैनल पर क्यों नहीं मिलेगा सब्सिडी?
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि केवल उन सोलर पैनल्स पर ही सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जो भारत में निर्मित हैं। इन पैनल्स को डीसीआर (Domestic Content Requirement) कहा जाता है। इसके विपरीत, विदेशों से आयातित पैनल्स को नान-डीसीआर के रूप में जाना जाता है और उन पर किसी प्रकार की सरकारी सब्सिडी नहीं मिलती। यह निर्णय देश में सोलर पैनल निर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से लिया गया है।
वाराणसी के 370 उपभोक्ता क्यों हो गए प्रभावित?
वाराणसी में जिन 370 उपभोक्ताओं की सब्सिडी रोकी गई है, उनमें से अधिकांश ने नान-डीसीआर पैनल्स लगाए थे। यूपी नेडा के परियोजना प्रभारी प्रेम प्रकाश सिंह के अनुसार, यह सोलर पैनल भारतीय मानकों के अनुरूप नहीं थे, जिससे इन उपभोक्ताओं को सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ नहीं मिल सकता। इसके अलावा, कुछ मामलों में एक ही सीरियल नंबर दो उपभोक्ताओं के नाम से फीड कर दिया गया था, जिसे पोर्टल ने पकड़ लिया और ऐसी गड़बड़ी वाले आवेदन भी अस्वीकार कर दिए गए।
क्या सुधार किए जा रहे हैं?
यूपी नेडा ने यह भी जानकारी दी है कि जिन उपभोक्ताओं ने गलत या अधूरे दस्तावेज़ लगाए हैं, उनका सत्यापन किया जा रहा है। इन उपभोक्ताओं को सूचित किया जाएगा और उनकी त्रुटियों को सुधारने का अवसर दिया जाएगा। हालांकि, नान-डीसीआर सोलर पैनल लगाने वाले उपभोक्ताओं को अब कोई भी सब्सिडी नहीं दी जाएगी, चाहे उन्होंने गलती से ही विदेशी पैनल लगाए हों या फिर उनके आवेदन में अन्य किसी प्रकार की गड़बड़ी हो।
यूपी नेडा का जागरूकता अभियान
इन गड़बड़ियों के बाद यूपी नेडा ने अब उपभोक्ताओं को सही पैनल के चयन और दस्तावेज़ों की सही तरीके से भराई के बारे में जागरूक करने का निर्णय लिया है। परियोजना प्रभारी प्रेम प्रकाश सिंह ने कहा कि यूपी नेडा अब एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाएगा ताकि उपभोक्ता सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार सही सोलर पैनल का चुनाव करें और भविष्य में ऐसी समस्याओं से बच सकें।
सरकार का उद्देश्य
भारत सरकार का उद्देश्य केवल सोलर पैनल की उत्पादन क्षमता बढ़ाना नहीं है, बल्कि इससे जुड़े रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देना है। डीसीआर पैनल भारत में निर्मित होते हैं, जिससे घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलता है और देश में सोलर पैनल के निर्माण की क्षमता को सशक्त किया जाता है। इसके अलावा, भारत सरकार का यह कदम “आत्मनिर्भर भारत” के सिद्धांत के तहत उठाया गया है, जिसमें घरेलू उत्पादों की खपत बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
सोलर पैनल पर सब्सिडी के लिए जरूरी मानक
सोलर पैनल पर सब्सिडी पाने के लिए उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे केवल भारत में निर्मित डीसीआर सोलर पैनल का ही चयन करें। इसके अलावा, उन्हें अपनी आवेदन प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा करना होगा और सभी दस्तावेज़ सही तरीके से भरने होंगे। यदि कोई उपभोक्ता इन मानकों का पालन नहीं करता है तो उसकी सब्सिडी रोकी जा सकती है।
नान-डीसीआर पैनल लगाने वाले उपभोक्ताओं के लिए क्या विकल्प हैं?
अगर उपभोक्ता ने नान-डीसीआर पैनल लगाए हैं, तो उन्हें कोई सरकारी सब्सिडी नहीं मिलेगी, लेकिन वे अपने खर्च पर सोलर पैनल लगवाने का विकल्प रख सकते हैं। हालांकि, ऐसे पैनल्स पर सरकारी सहायता मिलने की संभावना नहीं है, लेकिन वे अन्य तरीकों से ऊर्जा बचत और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
क्या यह कदम भारतीय सोलर इंडस्ट्री को सशक्त करेगा?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत सरकार का यह कदम भारतीय सोलर इंडस्ट्री को मजबूती प्रदान कर सकता है। भारतीय निर्माताओं को लाभ होगा और देश में सोलर पैनल के निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी।