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उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने का अविश्वास प्रस्ताव, क्या है पद से हटाने की प्रक्रिया?

जगदीप धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण संचालन का आरोप, अदानी विवाद बना सत्र का केंद्र; जानिए क्या है संविधान विशेषज्ञों की राय और विपक्ष की रणनीति।

By Pankaj Yadav
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उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने का अविश्वास प्रस्ताव, क्या है पद से हटाने की प्रक्रिया?

विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने हाल ही में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देकर देश की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। यह पहला मौका है जब किसी राज्यसभा सभापति के खिलाफ इस प्रकार का प्रस्ताव पेश किया गया है। विपक्ष का आरोप है कि जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण तरीके से संचालित किया है, जिससे संसदीय लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंची है।

विपक्ष का बड़ा आरोप

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि राज्यसभा के सभापति का पक्षपातपूर्ण रवैया विपक्ष के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। उनका कहना है कि गठबंधन के सभी दलों के पास इस अविश्वास प्रस्ताव को लाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था।

इस विवाद की जड़ सोमवार की घटना है जब संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कथित तौर पर राज्यसभा के सभापति के सामने यह टिप्पणी की कि जब तक विपक्ष लोकसभा में अदानी समूह से जुड़े मुद्दों को उठाना बंद नहीं करता, तब तक राज्यसभा को सुचारू रूप से चलने नहीं दिया जाएगा। जयराम रमेश ने कहा कि यह टिप्पणी खुद सभापति की भूमिका पर सवाल उठाती है।

अदानी विवाद बना मुख्य मुद्दा

इस विवाद के केंद्र में भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अदानी से जुड़ा मामला है। अमेरिका में अदानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोपों की खबर आने के बाद कांग्रेस और विपक्षी दल सरकार पर लगातार हमलावर हैं। विपक्ष की मांग है कि इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाए।

संसद के मौजूदा सत्र में भी अदानी समूह का मुद्दा और अन्य विवादित मुद्दे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव का कारण बने हुए हैं।

पहली बार सभापति के खिलाफ प्रस्ताव

राज्यसभा के गठन के 72 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। जयराम रमेश ने इसे संसदीय लोकतंत्र के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कदम बताया। हालांकि, इस प्रस्ताव के पारित होने की संभावना कम मानी जा रही है क्योंकि विपक्ष के पास आवश्यक बहुमत नहीं है।

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बीजेपी का पलटवार: अविश्वास प्रस्ताव को बताया ‘ड्रामा’

बीजेपी सांसद और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी प्रस्ताव को महज राजनीतिक ‘ड्रामा’ करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल सदन की कार्यवाही बाधित करने की साजिश कर रहे हैं। रिजिजू का कहना है कि इस तरह के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि विपक्ष स्लोगन वाले जैकेट पहनकर सदन में क्यों प्रवेश कर रहा है।

संविधान विशेषज्ञों की राय

संविधान के जानकार पीडीटी आचारी ने कहा कि उपराष्ट्रपति, जो कि राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, को हटाने की प्रक्रिया 14 दिन पहले नोटिस देने के बाद ही शुरू की जा सकती है। यह प्रक्रिया राज्यसभा में शुरू होती है और वहां से पास होने के बाद लोकसभा में इसे पारित किया जाना आवश्यक है।

संवैधानिक विशेषज्ञ फैजान मुस्तफा का कहना है कि इस तरह के प्रस्ताव का पारित होना लगभग असंभव है क्योंकि विपक्ष के पास आवश्यक संख्याबल नहीं है।

संसदीय लोकतंत्र पर क्या पड़ेगा असर?

इस प्रस्ताव का वास्तविक उद्देश्य सरकार और सभापति पर दबाव बनाना है। विपक्ष का दावा है कि यह कदम संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठाया गया है। हालांकि, जानकार मानते हैं कि यह प्रस्ताव न केवल विपक्ष की शक्ति प्रदर्शन है बल्कि संसदीय परंपराओं पर भी एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म देगा।

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Author
Pankaj Yadav
मैं, एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हूं, जो भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण खबरों और मुद्दों पर लिखता हूं। पिछले 6 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहा हूं और वर्तमान में GMSSS20DCHD के लिए स्वतंत्र लेखक के तौर पर योगदान दे रहा हूं। मुझे सटीक तथ्यों और दिलचस्प दृष्टिकोण के साथ समाचार और लेख प्रस्तुत करना पसंद है। मेरा मानना है कि एक पत्रकार का काम केवल खबरें देना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाना भी है।

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