विवाह एक ऐसा बंधन है जो जीवन को स्थायित्व देता है। अक्सर शादी के बाद ससुराल पक्ष बेटी और दामाद की भलाई के लिए कई तरह से मदद करते हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि दामाद को ससुर की प्रॉपर्टी (Father in Law’s Property) में कोई कानूनी अधिकार मिल जाता है।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दामाद का ससुर की संपत्ति पर कोई दावा नहीं होता, चाहे उसने आर्थिक सहायता दी हो। केवल ससुर की स्वेच्छा से संपत्ति का ट्रांसफर ही दामाद को कानूनी अधिकार प्रदान करता है।
दामाद और ससुर की प्रॉपर्टी पर कानून का पक्ष
केरल हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार, दामाद का ससुर की प्रॉपर्टी में कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। न्यायमूर्ति अनिल कुमार ने देवीश राफेल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया। राफेल ने अपने ससुर हेनरी थॉमस की संपत्ति पर दावा किया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि दामाद ने प्रॉपर्टी खरीदने या निर्माण में आर्थिक सहयोग दिया हो, तब भी वह संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता।
पत्नी का ससुराल की प्रॉपर्टी पर अधिकार
पत्नी के लिए कानून अलग है। पति के देहांत के बाद, यदि सास-ससुर का निधन हो जाए और उन्होंने अपनी संपत्ति किसी और को वसीयत में न दी हो, तो पत्नी को प्रॉपर्टी में अधिकार मिल सकता है। हालांकि पति के जीवित रहते हुए या ससुराल पक्ष की मर्जी के बिना, पत्नी को ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई हक नहीं होता।
विवादित प्रॉपर्टी और कानूनी प्रक्रिया
इस मामले में ससुर ने ट्रायल कोर्ट में केस दाखिल किया था, जिसमें दामाद पर संपत्ति पर गैर-कानूनी कब्जे का आरोप लगाया गया। ससुर ने कोर्ट से अपनी संपत्ति के शांतिपूर्ण कब्जे की मांग की। कोर्ट ने ससुर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि दामाद का इस प्रॉपर्टी पर कोई अधिकार नहीं है।
ससुर की प्रॉपर्टी में दामाद का कानूनी अधिकार क्यों नहीं है?
दामाद ससुर की प्रॉपर्टी में केवल तभी अधिकार प्राप्त कर सकता है जब ससुर अपनी मर्जी से संपत्ति उसे ट्रांसफर करे। अन्यथा, कानूनन कोई हक नहीं होता।
पत्नी का ससुराल की प्रॉपर्टी पर कब हक बनता है?
पति के देहांत के बाद, यदि सास-ससुर की संपत्ति किसी और को वसीयत में न दी गई हो, तो पत्नी को उसका हिस्सा मिल सकता है।
क्या ससुराल पक्ष की प्रॉपर्टी पर आर्थिक सहयोग का प्रभाव पड़ता है?
नहीं, आर्थिक सहयोग का प्रॉपर्टी पर अधिकार पाने में कोई कानूनी महत्व नहीं है।
हाई कोर्ट के इस निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ससुर की संपत्ति पर दामाद का कोई कानूनी दावा नहीं है। संपत्ति पर अधिकार केवल स्वेच्छा से ट्रांसफर के माध्यम से ही संभव है। यह फैसला पारिवारिक प्रॉपर्टी विवादों में कानूनी स्पष्टता प्रदान करता है।