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कर्ज ना चुकाने वालों की खैर नहीं! डिफॉल्टर से पैसा वसूलने की पूरी तैयारी; सरकार ने बैंकों को दिया ये आदेश

केंद्र सरकार ने ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में लंबित मामलों को लेकर बैंकों से प्रभावी निगरानी और प्रबंधन की अपील की है। जानिए इसके प्रभाव और क्या बदलाव आएंगे!

By Pankaj Yadav
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कर्ज ना चुकाने वालों की खैर नहीं! डिफॉल्टर से पैसा वसूलने की पूरी तैयारी; सरकार ने बैंकों को दिया ये आदेश

भारत के वित्त मंत्रालय ने शनिवार को बैंकों से ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (DRT) में लंबित मामलों के कुशल प्रबंधन और निगरानी के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित करने का आग्रह किया है। यह कदम देश में वित्तीय प्रणाली की सुधार प्रक्रिया को तेज करने और ऋण वसूली को अधिक पारदर्शी और तेज बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू की अध्यक्षता में ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरणों (DRAT) के चेयरपर्सन और ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (DRT) के पीठासीन अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।

इस बैठक के दौरान यह भी विचार विमर्श किया गया कि कैसे बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को DRT में लंबित छोटे और उच्च मूल्य के मामलों के लिए एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए, ताकि इन मामलों का जल्दी समाधान हो सके। वित्त मंत्रालय ने कहा कि सभी हितधारकों को सामूहिक रूप से काम करके लंबित मामलों की संख्या को कम करने की आवश्यकता है।

DRT और DRAT की क्या है?

ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) और ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (DRAT) का मुख्य उद्देश्य वित्तीय संस्थानों और बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों की वसूली को सुनिश्चित करना है। DRT, ऋण वसूली के मामलों का समाधान करने के लिए एक त्वरित और प्रभावी मंच प्रदान करता है, जबकि DRAT उन मामलों की अपीलों का निपटान करता है जो DRT द्वारा दिए गए फैसलों के खिलाफ की जाती हैं।

DRT का गठन भारतीय संविधान के तहत किया गया था ताकि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के लिए नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) से निपटने का एक कानूनन मंच उपलब्ध हो सके। इससे बैंक और अन्य संस्थाएं अपने पुराने और लंबित ऋणों की वसूली तेज कर सकती हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद मिलती है।

लंबित मामलों का समाधान

आधिकारिक बयान के मुताबिक, DRT में प्रभावी प्रबंधन के लिए कुछ सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया जा सकता है। इन सर्वोत्तम प्रथाओं में उन्नत तकनीकी समाधान, स्वचालित वसूली प्रक्रियाएं और समयबद्ध समाधान की दिशा में कदम उठाना शामिल हैं। सरकार और संबंधित अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि इन मामलों का निपटान जल्दी हो और बैंकों को ऋण वसूली में बेहतर परिणाम मिले।

बैठक के दौरान यह भी सुझाव दिया गया कि बैंकों को अपनी आंतरिक नीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि वे DRT में लंबित मामलों को स्पष्ट रूप से परिभाषित कर सकें और हर स्तर पर सामूहिक प्रयासों से उनका समाधान कर सकें।

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इसके साथ ही, DRT और DRAT के अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे इन मामलों के समाधान के लिए न्यायिक दृष्टिकोण से सर्वोत्तम तरीके अपनाएं, जिससे न केवल बैंक और वित्तीय संस्थाओं को फायदा हो, बल्कि न्यायालयों पर दबाव भी कम हो।

ऋण वसूली न्यायाधिकरणों का भविष्य और सुधार की दिशा

वित्त मंत्रालय द्वारा उठाए गए इस कदम से यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऋण वसूली प्रक्रिया में तेजी आएगी और वित्तीय संस्थाओं को पुराने और लंबित मामलों के समाधान में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह कदम उन वित्तीय संस्थानों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो लंबे समय से NPAs से जूझ रहे हैं और जिन्हें इन मामलों के समाधान के लिए उपयुक्त कानूनी मार्गदर्शन की आवश्यकता है।

वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने इस बैठक में यह भी उल्लेख किया कि बैंकों को वसूली के मामलों में अधिक पारदर्शिता और तेज गति से काम करने की जरूरत है। इसके लिए, एक मजबूत निगरानी तंत्र और डेटा-आधारित सिस्टम की आवश्यकता है, जो बैंकों को मामलों की स्थिति पर समय पर रिपोर्ट प्रदान कर सके।

यूपीआई और डिजिटल लेनदेन

इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से कहा था कि वे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को लेकर लोगों को सशक्त बनाने के लिए ट्रांसफॉर्मेटिव इनोवेशन और डिजिटल अवसर तलाशें। भारत में यूपीआई की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है, और यह दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल भुगतान नेटवर्कों में से एक बन चुका है। अगस्त 2024 में यूपीआई से होने वाले लेनदेन में सालाना आधार पर 41 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 14.96 अरब लेनदेन तक पहुंच गया है। इसके अलावा, यूपीआई के माध्यम से होने वाले लेनदेन की वैल्यू में सालाना 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 20.61 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

इस बीच, हर महीने यूपीआई से करीब 60 लाख नए यूजर्स जुड़ रहे हैं, और इसका एक प्रमुख कारण यूपीआई को क्रेडिट कार्ड से जोड़ना और इसे विदेशों में लॉन्च करना है।

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Author
Pankaj Yadav
मैं, एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हूं, जो भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण खबरों और मुद्दों पर लिखता हूं। पिछले 6 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहा हूं और वर्तमान में GMSSS20DCHD के लिए स्वतंत्र लेखक के तौर पर योगदान दे रहा हूं। मुझे सटीक तथ्यों और दिलचस्प दृष्टिकोण के साथ समाचार और लेख प्रस्तुत करना पसंद है। मेरा मानना है कि एक पत्रकार का काम केवल खबरें देना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाना भी है।

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