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सरकार ने बनाया नया नियम, वंशावली में दर्ज करना होगा बहन-बेटियों का नाम, मांगने पर देनी पड़ेगी जमीन तुरंत देखें

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नए दिशा निर्देश: महिलाओं के लिए खास प्रावधान, बंटवारे और स्वामित्व विवादों का होगा त्वरित समाधान।

By Pankaj Yadav
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सरकार ने बनाया नया नियम, वंशावली में दर्ज करना होगा बहन-बेटियों का नाम, मांगने पर देनी पड़ेगी जमीन तुरंत देखें

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बिहार में भूमि स्वामित्व को लेकर चल रहे विवादों को सुलझाने के लिए नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने मंगलवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की। नए प्रावधानों के तहत भूमि स्वामित्व स्थापित करने के कई विकल्प दिए गए हैं, जो रैयतों, महिलाओं और अन्य संबंधित पक्षों के अधिकारों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।

महिलाओं को मिला संपत्ति पर अधिकार

महिलाओं के भूमि स्वामित्व से जुड़े अधिकारों को नए निर्देशों में प्रमुखता से शामिल किया गया है। अगर कोई महिला अपने पिता की संपत्ति में स्वामित्व का त्याग शपथ पत्र के माध्यम से नहीं करती है, तो उनका अधिकार कायम रहेगा। वंशावली की घोषणा में अब रैयतों को अपनी बहन-बेटियों के नाम दर्ज करना अनिवार्य होगा।

भूमि पर दखल और लगान रसीद

ऐसे मामले जिनमें भूमि पर शांतिपूर्ण दखल-कब्जा है लेकिन स्वामित्व के नाम पर केवल लगान रसीद उपलब्ध है, उनके समाधान के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। भूमि सर्वेक्षण में ऐसे भूखंडों के चौहद्दीदारों के बयान के आधार पर निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार किया जाएगा।

यदि किसी खेसरा में रैयत का नाम दर्ज है और उनके नाम से खाता खुला हुआ है, तो यह स्थिति मान्य होगी। वहीं, ऐसी जमीन, जिन पर दखल है लेकिन न तो जमाबंदी है और न ही रसीद कटी है, उन्हें अनाबाद बिहार सरकार के खाते में दर्ज किया जाएगा। अभियुक्ति कॉलम में अवैध दखलकार का नाम दर्ज होगा।

मकानों पर बने स्वामित्व के मामले

जो जमीन सर्वे-खतियान में अनाबाद बिहार सरकार के खाते में दर्ज है और उस पर मकान बना हुआ है, वहां उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर रैयती खाता खोला जाएगा। चाहे खतियान में दखलकार दर्ज हो या न हो, वंशजों या वर्तमान दखलकार के दखल के आधार पर खाता खोला जाएगा।

आपसी सहमति और बंटवारा

आपसी सहमति से हुए बंटवारे को वैध मानते हुए सभी हिस्सेदारों का अलग-अलग खाता खोला जाएगा। यदि किसी हिस्सेदार में असहमति है, तो संयुक्त खाता खोला जाएगा। वहीं, यदि बंटवारा निबंधित या सक्षम न्यायालय द्वारा किया गया है, तो उसके आधार पर भी अलग-अलग खाता खोले जाएंगे।

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विवादित खेसरों के समाधान

यदि कोई खेसरा कैडेस्ट्रल सर्वे में रैयती है लेकिन रिवीजनल सर्वे में अनाबाद बिहार सरकार या अनाबाद सर्व साधारण के खाते में दर्ज है, तो सिविल सूट के निर्णय के आधार पर इसे रैयती माना जाएगा। वहीं, क्रेता के नाम पर भूमि का शांतिपूर्ण दखल होने पर केवालाका निबंधन कार्यालय से सत्यापन कर खाता खोला जाएगा।

बंटवारे में असहमति और संयुक्त खाता

विशेष सर्वेक्षण और बंदोबस्त प्रक्रिया के दौरान यदि कोई हिस्सेदार पहले हुए बंटवारे पर असहमति जताता है, तो संयुक्त खाता खोला जाएगा। निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि रैयत यदि जमाबंदी या लगान रसीद अद्यतन नहीं करा पाते हैं, तो इससे उनके स्वामित्व की स्थिति प्रभावित नहीं होगी।

गैरमजरूआ जमीन का समाधान

गैरमजरूआ जमीन के मामलों में रैयतों के पास यदि कागजात उपलब्ध नहीं हैं, तो अंचलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर उनके स्वामित्व को मान्यता दी जाएगी।

महिलाओं के अधिकार पर विशेष प्रावधान

महिलाओं के संपत्ति पर अधिकार को लेकर स्पष्ट किया गया है कि यदि महिला द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से संपत्ति का परित्याग किया गया हो या पिता द्वारा संपत्ति की वसीयत में पुत्री का नाम दर्ज न हो, तो ही वह अपने हिस्से से वंचित होंगी। अन्य सभी परिस्थितियों में महिलाओं को अपने पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा। वंशावली में बहन-बेटियों का नाम दर्ज करना अनिवार्य है।

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Author
Pankaj Yadav
मैं, एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हूं, जो भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण खबरों और मुद्दों पर लिखता हूं। पिछले 6 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहा हूं और वर्तमान में GMSSS20DCHD के लिए स्वतंत्र लेखक के तौर पर योगदान दे रहा हूं। मुझे सटीक तथ्यों और दिलचस्प दृष्टिकोण के साथ समाचार और लेख प्रस्तुत करना पसंद है। मेरा मानना है कि एक पत्रकार का काम केवल खबरें देना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाना भी है।

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