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Rajasthan News: सरकारी दफ्तर में कचौड़ी-समोसा और आलू चिप्स खाना बैन, आदेश जारी

राज्य सरकार ने सरकारी बैठकों में कचौरी-समोसा की जगह बाजरे के उत्पाद को शामिल करने का आदेश जारी किया है। जानें कैसे यह कदम मिलेट्स के प्रचार को बढ़ावा देगा और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित होगा।

By Pankaj Yadav
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राज्य सरकार ने स्वास्थ्यवर्धक आहार को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसके तहत सरकारी बैठकों में अब कचौरी, समोसा, आलू चिप्स और चाय की चुस्कियों की जगह बाजरे के उत्पाद परोसे जाएंगे। इस आदेश के अनुसार, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अब बाजरे की राब, रोटी और अन्य मिलेट्स उत्पाद मिलेंगे। यह निर्णय मिलेट्स (श्री अन्न) को बढ़ावा देने और उनके पोषण मूल्य को सामने लाने के उद्देश्य से लिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (International Year of Millets) घोषित किया था, जिसके बाद भारत में मिलेट्स को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। इस आदेश के माध्यम से राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि सरकारी कार्यक्रमों और बैठकों में स्वस्थ, पौष्टिक और सस्टेनेबल आहार का सेवन किया जाए, जो भारतीय किसानों के लिए भी लाभकारी साबित हो।

मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम

राज्य सरकार के इस फैसले का उद्देश्य केवल स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद आहार को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि कृषि क्षेत्र में मिलेट्स की बढ़ती महत्ता को भी उजागर करना है। भारतीय कृषि में मिलेट्स का महत्वपूर्ण स्थान है, और इस क्षेत्र में राजस्थान, खासकर बाड़मेर जिला, बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। इस कदम से न केवल मिलेट्स के फायदे समझ में आएंगे, बल्कि यह किसानों को भी प्रोत्साहित करेगा, जो अधिक से अधिक मिलेट्स की खेती की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

राज्य सरकार ने सभी सरकारी विभागों और कार्यालयों को निर्देश दिया है कि वे अपने आयोजनों, बैठकों और सेमिनारों में मिलेट्स का इस्तेमाल करें। यह कदम सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को बेहतर और पोषक आहार उपलब्ध कराने के साथ-साथ स्वास्थ्य समस्याओं को भी कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

बाड़मेर के अतिरिक्त जिला कलक्टर का आदेश

राजस्थान के बाड़मेर जिले के अतिरिक्त जिला कलक्टर ने 59 विभागों को इस आदेश के पालन के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत सभी विभागों को मिलेट्स आधारित व्यंजन तैयार करने के लिए कहा गया है, ताकि सरकारी बैठकों और आयोजनों में पौष्टिक आहार परोसा जा सके। इन आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निगरानी रखने का भी जिम्मा सौंपा गया है।

अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के दौरान, सरकार का यह कदम बाजरे, ज्वार, रागी, और अन्य मिलेट्स के प्रचार-प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना का उद्देश्य न केवल शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को मिलेट्स के फायदे बताना है, बल्कि देशभर में मिलेट्स की खपत और उत्पादन को भी बढ़ावा देना है।

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मिलेट्स, एक स्वस्थ विकल्प

मिलेट्स या श्री अन्न को पोषण की दृष्टि से बहुत फायदेमंद माना जाता है। ये रिच फाइबर, प्रोटीन, विटामिन्स, और मिनरल्स से भरपूर होते हैं और पेट के लिए अच्छे होते हैं। बाजरा, ज्वार, और रागी जैसे मिलेट्स को ग्लूटन फ्री विकल्प के रूप में भी जाना जाता है, जो उन लोगों के लिए आदर्श होते हैं जो ग्लूटन से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

इसके अलावा, मिलेट्स का उत्पादन भी पारंपरिक अनाज की तुलना में अधिक सस्टेनेबल है, क्योंकि इन्हें कम पानी और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, मिलेट्स को बढ़ावा देना पर्यावरण की दृष्टि से भी फायदेमंद है, क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन और जल संकट के संदर्भ में एक स्थिर विकल्प हो सकता है।

सरकारी आदेश का प्रभाव

राज्य सरकार के इस निर्णय का असर न केवल सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों पर पड़ेगा, बल्कि इससे समाज में मिलेट्स के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। सरकारी बैठकों और आयोजनों में इन उत्पादों का प्रचलन बढ़ने से अन्य क्षेत्रों में भी मिलेट्स का उपयोग बढ़ सकता है। इसके अलावा, यह आदेश छोटे किसानों और कृषि उत्पादकों को भी प्रोत्साहित करेगा, जो बाजरे और अन्य मिलेट्स की खेती करते हैं।

भारत में मिलेट्स की खेती पर जोर दिया जा रहा है, और इस दिशा में कई योजनाओं और कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। मिलेट्स का प्रचार और उनके पोषण लाभों के बारे में अधिक जागरूकता फैलाने के लिए यह कदम एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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Pankaj Yadav
मैं, एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हूं, जो भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण खबरों और मुद्दों पर लिखता हूं। पिछले 6 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहा हूं और वर्तमान में GMSSS20DCHD के लिए स्वतंत्र लेखक के तौर पर योगदान दे रहा हूं। मुझे सटीक तथ्यों और दिलचस्प दृष्टिकोण के साथ समाचार और लेख प्रस्तुत करना पसंद है। मेरा मानना है कि एक पत्रकार का काम केवल खबरें देना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाना भी है।

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