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किराएदार को बेदखल करने के हक को लेकर कोर्ट ने सुनाया फैसला, किरायेदार नहीं कर सकते ये काम हो जाएं सावधान

क्या आप जानते हैं कि किराएदारों को बेदखली के खिलाफ अपील का अधिकार नहीं? दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में DRC एक्ट की धारा 25बी (8) के तहत किराएदारों के अधिकारों पर बड़ा प्रतिबंध लगाया है। जानिए इस फैसले का मकान मालिकों और किराएदारों पर क्या होगा असर

By Pankaj Yadav
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किराएदार को बेदखल करने के हक को लेकर कोर्ट ने सुनाया फैसला, किरायेदार नहीं कर सकते ये काम हो जाएं सावधान
किराएदार को बेदखल करने के हक को लेकर कोर्ट ने सुनाया फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में किराएदारों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली रेंट कंट्रोल (DRC) एक्ट, 1958 के सेक्शन 25बी (8) के तहत किराएदार को प्रॉपर्टी से बेदखली के आदेश के खिलाफ अपील करने का अधिकार नहीं है। इस फैसले ने न सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि किराएदार-मकान मालिक के संबंधों पर भी बड़ी स्पष्टता प्रदान की है।

दिल्ली हाईकोर्ट में पूरा मामला

इस मामले की शुरुआत 2012 में हुई थी, जब एक मकान मालिक ने किराएदारों को प्रॉपर्टी खाली करने के लिए अदालत का रुख किया। मकान मालिक ने यह दावा किया कि उन्हें अपनी जगह की आवश्यकता है। रेंट कंट्रोलर ने किराएदारों को अपना बचाव प्रस्तुत करने की अनुमति दी, लेकिन मकान मालिक ने इस आदेश को चुनौती दी।

2017 में हाईकोर्ट ने रेंट कंट्रोलर के आदेश को निरस्त कर दिया और किराएदारों को प्रॉपर्टी खाली करने का निर्देश दिया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी किराएदारों की विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) को खारिज कर दिया, जिससे यह आदेश अंतिम रूप से वैध हो गया।

2022 में फिर शुरू हुई कानूनी प्रक्रिया

बेदखली आदेश को लागू करने के लिए मकान मालिक ने 2022 में एग्जिक्यूशन याचिका दायर की। इस पर रेंट कंट्रोलर ने आदेश दिया और कब्जे का वॉरंट जारी किया। इसमें स्पष्ट रूप से ताला, दरवाजे और खिड़कियां तोड़ने तक की अनुमति दी गई थी। इसके बावजूद, किराएदारों ने इस आदेश को चुनौती देने की कोशिश की, लेकिन रेंट कंट्रोल ट्रिब्यूनल ने इसे खारिज कर दिया।

1 जुलाई 2022 को रेंट कंट्रोल ट्रिब्यूनल ने कहा कि DRC एक्ट के सेक्शन 25बी (8) के तहत ऐसी अपील सुनवाई योग्य नहीं है। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जहां जस्टिस मनोज जैन ने इसे कानूनी प्रतिबंधों के तहत खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट का विश्लेषण और निर्णय

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रेंट कंट्रोल एक्ट के प्रावधानों के तहत अपील करने का अधिकार सीमित है। अदालत ने यह भी बताया कि संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्णय ले चुका है, इसलिए इस पर पुनर्विचार संभव नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि DRC एक्ट के सेक्शन 25बी (8) के तहत, मकान मालिक के पक्ष में पारित आदेश के खिलाफ किराएदार अपील नहीं कर सकते।

किराएदार-मकान मालिक संबंधों पर असर

इस फैसले का सीधा असर दिल्ली में किराएदार-मकान मालिक के बीच के कानूनी संबंधों पर पड़ेगा। मकान मालिकों के लिए यह निर्णय राहत लेकर आया है, क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि कानून के तहत सही प्रक्रिया अपनाई जाती है, तो किराएदारों के पास बार-बार अपील का अधिकार नहीं होगा। वहीं, किराएदारों के लिए यह एक चेतावनी है कि उन्हें शुरू से ही कानूनी मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए।

प्रावधान और कानूनी परिप्रेक्ष्य

दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट, 1958 का सेक्शन 25बी (8) स्पष्ट करता है कि मकान मालिक के पक्ष में दिए गए आदेश को चुनौती देने का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी का उपयोग अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कर सकें।

इस फैसले के बाद, किराएदारों के पास बेदखली के आदेश के खिलाफ सीमित विकल्प रह गए हैं। उन्हें आदेश को चुनौती देने के बजाय शुरुआत में ही कानूनी सलाह के आधार पर मजबूत बचाव तैयार करना चाहिए।

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1. दिल्ली हाईकोर्ट ने किराएदारों के लिए क्या फैसला दिया है?
हाईकोर्ट ने कहा कि DRC एक्ट के तहत किराएदार को बेदखली आदेश के खिलाफ अपील करने का अधिकार नहीं है।

2. DRC एक्ट का सेक्शन 25बी (8) क्या कहता है?
यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि मकान मालिक के पक्ष में दिए गए बेदखली आदेश के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती।

3. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या निर्णय था?
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में किराएदारों की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी थी, जिससे हाईकोर्ट का आदेश अंतिम हो गया।

4. क्या रेंट कंट्रोल ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है?
रेंट कंट्रोल ट्रिब्यूनल ने कहा कि DRC एक्ट के तहत इस तरह की अपीलें सुनवाई के योग्य नहीं हैं।

5. यह फैसला मकान मालिकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
यह फैसला मकान मालिकों को यह अधिकार देता है कि यदि सही प्रक्रिया अपनाई गई हो, तो किराएदारों द्वारा बार-बार अपील नहीं की जा सकेगी।

6. क्या किराएदारों के पास कोई अन्य विकल्प है?
किराएदारों के पास आदेश को चुनौती देने के सीमित विकल्प हैं। उन्हें शुरू में ही मजबूत कानूनी आधार तैयार करना होगा।

7. मकान मालिक इस फैसले का कैसे उपयोग कर सकते हैं?
वे इसे अपनी प्रॉपर्टी पर कानूनी रूप से कब्जा पाने और अवैध कब्जे को हटाने के लिए कानूनी आधार के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

8. क्या यह फैसला अन्य राज्यों में भी लागू होगा?
यह फैसला दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट के अंतर्गत है, लेकिन अन्य राज्यों के समान कानूनों पर इसका परोक्ष प्रभाव पड़ सकता है।

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Author
Pankaj Yadav
मैं, एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हूं, जो भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण खबरों और मुद्दों पर लिखता हूं। पिछले 6 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहा हूं और वर्तमान में GMSSS20DCHD के लिए स्वतंत्र लेखक के तौर पर योगदान दे रहा हूं। मुझे सटीक तथ्यों और दिलचस्प दृष्टिकोण के साथ समाचार और लेख प्रस्तुत करना पसंद है। मेरा मानना है कि एक पत्रकार का काम केवल खबरें देना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाना भी है।

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