राजस्थान हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने बुजुर्ग मां-बाप और सास-ससुर के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि अगर बुजुर्ग दंपति अपने बच्चों या रिश्तेदारों के व्यवहार से असंतुष्ट हैं और उनकी देखभाल नहीं हो रही है, तो वे उन्हें अपनी संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें अपने जीवन के अंतिम चरण में भी परिवार के सदस्यों के खराब व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
मां-बाप या सास-ससुर का नहीं रखा ध्यान तो संपत्ति से होना पड़ेगा बेदखल
इस फैसले के अनुसार, मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल (Maintenance Tribunal), जिसे एसडीओ कोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, को यह अधिकार दिया गया है कि वह बुजुर्ग लोगों की शिकायतों पर सुनवाई करते हुए संपत्ति से बेदखली का आदेश जारी कर सकता है। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की दो सदस्यीय बेंच ने यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट के फैसलों का संदर्भ लेते हुए दिया है।
मामला और फैसला
यह फैसला ओमप्रकाश सैन वर्सेज मनभर देवी मामले में सुनाया गया, जो 2019 में सिंगल बेंच के समक्ष लंबित था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि माता-पिता या सास-ससुर को बच्चों की ओर से देखभाल न मिलने पर उनके पास यह कानूनी अधिकार है कि वे अपनी संपत्ति से उन्हें बाहर कर सकें।
बुजुर्गों के लिए राहत
इस फैसले का सीधा प्रभाव उन बुजुर्गों पर पड़ेगा, जो बच्चों के उपेक्षापूर्ण व्यवहार से परेशान हैं। इस निर्णय से उन्हें यह भरोसा मिलेगा कि वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति से बेदखली का यह अधिकार बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
फैसले के व्यापक प्रभाव
मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के पास अब यह शक्ति है कि वह ऐसे मामलों का शीघ्र निपटारा कर सके। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि रेफरेंस तय नहीं होने के कारण पहले कई मामले अटके हुए थे, लेकिन इस निर्णय के बाद ऐसे मामलों में तेजी आएगी।
सवाल 1: क्या बुजुर्ग माता-पिता को अपनी संपत्ति से बच्चों को बेदखल करने का कानूनी अधिकार है?
हां, अगर बच्चे या रिश्तेदार उनकी देखभाल नहीं कर रहे हैं या उनसे अनुचित व्यवहार कर रहे हैं, तो बुजुर्ग उन्हें अपनी संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं।
सवाल 2: क्या मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल का आदेश अंतिम होता है?
मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन यह आदेश बुजुर्गों के अधिकारों की प्राथमिक सुरक्षा के लिए प्रभावी है।
सवाल 3: यह आदेश किन संपत्तियों पर लागू होता है?
यह आदेश उन संपत्तियों पर लागू होता है जो बुजुर्गों की व्यक्तिगत या स्व-अर्जित संपत्ति हैं।
सवाल 4: क्या यह नियम संयुक्त परिवार की संपत्ति पर लागू होता है? संयुक्त परिवार की संपत्ति पर इस आदेश का प्रभाव सीमित है और ऐसे मामलों में अलग कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है।
राजस्थान हाईकोर्ट का यह फैसला बुजुर्गों के अधिकारों को मजबूत बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह निर्णय न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि बच्चों और रिश्तेदारों को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी करता है। अब मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के पास ऐसी शिकायतों का समाधान करने का अधिकार है, जिससे मामलों का जल्द निपटारा संभव होगा।